देश में आज भी 20 में से एक बच्चा पांचवां जन्मदिन नहीं मना पाता
सुमन कुमार
देश चांद से आगे मंगल पर पहुंच गया है मगर अपने बच्चों की जिंदगी बचाने के मामले में हम आज भी संघर्ष ही कर रहे हैं। देश में बच्चों के सेहत की स्थिति ये है कि यहां जन्म लेने वाले प्रति 1000 बच्चों में 50 बच्चे पांच वर्ष की उम्र से पहले ही मौत के मुंह में चले जाते हैं। यानी हर 20 में से एक बच्चा पांचवां जन्मदिन मनाने से पहले ही काल के गाल में चला जाता है। देश के चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट में ये सच्चाई सामने आई है। हालांकि ये जरूर है कि वर्ष 1992-93 में हुए पहले सर्वेक्षण के मुकाबले इस संख्या में खासी कमी आई है। उस सर्वेक्षण में ये आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों में 109 का था। यानी तब 1000 बच्चों में से 109 अपना पांचवां जन्मदिन देखने से पहले ही गुजर जाते थे।
क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ष 2015-16 के दौरान संपन्न चौथे दौर के सर्वेक्षण में ये पता किया गया था कि सर्वे से ठीक पहले के पांच वर्षों के दौरान कितने नवजात (नियोनेटाल), शिशु (इन्फेंट) और 5 वर्ष से छोटे बच्चों की मौत हुई। इससे पता चला कि हर 1000 में से 30 नवजात, 1000 में से 41 इन्फेंट और 1000 में से 50 पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस दुनिया को छोड़ जाते हैं।
गांवों में स्थिति बुरी
सर्वे से ये भी सामने आया कि छोटे बच्चों की मौत के मामले में सबसे खराब स्थिति गांवों की है जहां प्रति 1000 बच्चों में से 56 की मौत पांच वर्ष से पहले हो जाती है। शहरों में ये आंकड़ा 1000 में से 36 का है।
यूपी सबसे पिछड़ा
राज्यवार देखें तो इस मामले में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की है जहां पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा आज भी 1000 पर 78 का है। दूसरी ओर सबसे अच्छी स्थिति केरल की है जहां ये आंकड़ा 1000 पर सिर्फ 7 बच्चों का है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, असम, झारखंड और राजस्थान क्रमश: उत्तर प्रदेश के बाद आते हैं। ये सभी ऐसे राज्य हैं जिनमें बच्चों की मौत का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत यानी प्रति 1000 पर 50 से भी ज्यादा है। दूसरी ओर गुजरात (44) और दिल्ली (42) इस सूची में बीच में हैं। केरल के बाद दूसरा स्थान गोवा का है जहां ये आंकड़ा 13 का है।
पैसे का भी खास महत्व
सर्वे में ये भी सामने आया कि गरीब घरों में बच्चों की मौत का आंकड़ा काफी ऊंचा है जबकि पैसे वाले घरों में काफी कम। सर्वेक्षण के अनुसार गरीबों में ये आंकड़ा 1000 में 72 का है जबकि अमीर घरों में 1000 में 23 का है।
लड़कियों के मुकाबले लड़के
ये भी एक दिलचस्प तथ्य है कि पांचवां जन्मदिन मनाने के मामले में लड़कियां लड़कों से आगे हैं। प्रति 1000 पर 948 लड़के ही अपना पांचवा जन्मदिन मना पाते हैं जबकि 952 लड़कियां अपना पांचवा जन्मदिन मनाती हैं।
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